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White ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं

White ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं
क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने? 

हाँ मृत्यु भले विराम हैं, जीवन भले संग्राम है
मैं भटकता ही रहूँगा भले ही इस जहान में, 
हर वक़्त खुद को खो कर या हो कर विलीन मैं, 
शून्य में ,क्या मिल सकूँगा तुम्हारे सामने?

 ध्रुव की आँखो से आंसू अब निकलते भी नहीं हैं
क्या करूँगा अब मैं अर्पण दरपन तुम्हारे सामने?

©ध्रुव
  # कुमार विश्वास की कविता# प्रेरणादायी कविता हिंदी

# कुमार विश्वास की कविता# प्रेरणादायी कविता हिंदी

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