World Book Day ये चंचल मन, ये चंचल मन, कभी लगे पखेरू, कभी लगे पवन, उड़ने लगे, बिन पंख पसारे, जग लगने लगे, गुलशन-गुलशन ये चंचल मन, ये चंचल मन... कभी लगे पखेरू, कभी लगे पवन... है रात सुहानी, आयी मस्ती की घटा संग, लायी मस्त बहारों की बगिया में, मोर भी नाचे छम-छम-छम ये चंचल मन, ये चंचल मन... कभी लगे पखेरू, कभी लगे पवन... छोटी सी एक आस लगी है, हर्षित मन की प्यास जगी है, मन मस्ती में डोल गया है, जैसे नाचे प्रभु किशन। ये चंचल मन, ये चंचल मन... कभी लगे पखेरू, कभी लगे पवन... ~~~~~~VivekSri~~~~~ #lifequotes #lovingpoetry #Life