माँ के कदमों में मेरी दुनियांँ है, माँ तेरे आँचल की छाया में जन्नत है। माँ तो सभी खुशियों की चाबी है, माँ से ही तो पूरी होती हर मन्नत है। फरिश्ते भी प्यार पाने को तरसते हैं, माँ तो साक्षात ममता की मूरत है। औलाद का हर दु:ख-दर्द हर लेती है, माँ की बड़ी महान शख्सियत है। माँ सारे गमों को खुशियों में बदल सकती है, माँ पर खुदा की नेमत है। माँ सारी मन की बातें जान जाती है, माँ तो धरा पर ईश्वर की सूरत है। माँ निश्छल प्रेम और त्याग की प्रतिमूर्ति है, माँ ईश्वर की अद्वितीय कृति है माँ सारे फर्ज, जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती, माँ के हाथों में बरकत है। सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 आज की एक रचना मांँ के नाम....💝 🌼आज का हमारा विषय "तेरे आंँचल की छाया में" बहुत ही ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।