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स्वप्न था मेरा भयंकर! रात का-सा था अंधेरा, बादलो

स्वप्न था मेरा भयंकर!

रात का-सा था अंधेरा,

बादलों का था न डेरा,

किन्तु फिर भी चन्द्र-तारों से हुआ था हीन अम्बर !

स्वप्न था मेरा भयंकर!

क्षीण सरिता बह रही थी,

कूल से यह कह रही थी

शीघ्र ही मैं सूखने को, भेंट ले मुझको हृदय भर !

स्वप्न था मेरा भयंकर!

धार से कुछ फासले पर

सिर कफ़न की ओढ चादर

एक मुर्दा गा रहा था बैठकर जलती चिता पर !

स्वप्न था मेरा भयंकर!

©sunayana jasmine poetry by harivansh rai bachhan

#Nojoto #Talash #Kalakaksh2 #Padho #Happy #Poetry #Hindi #India #wow #nojotoquote 

sonu pareek Swaras Ragini❣️ Kajal Internet Jockey Anshu writer  
Kabiraa
स्वप्न था मेरा भयंकर!

रात का-सा था अंधेरा,

बादलों का था न डेरा,

किन्तु फिर भी चन्द्र-तारों से हुआ था हीन अम्बर !

स्वप्न था मेरा भयंकर!

क्षीण सरिता बह रही थी,

कूल से यह कह रही थी

शीघ्र ही मैं सूखने को, भेंट ले मुझको हृदय भर !

स्वप्न था मेरा भयंकर!

धार से कुछ फासले पर

सिर कफ़न की ओढ चादर

एक मुर्दा गा रहा था बैठकर जलती चिता पर !

स्वप्न था मेरा भयंकर!

©sunayana jasmine poetry by harivansh rai bachhan

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