सोचकर ही लगता है डर, गर कभी आएगी वो डगर, तुम बिन अकेले चलूंगी कैसे, कैसे जियूंगी तुम्हारे बगर। तुम ठुकराओगे मुझे कभी, गम नही तुम्हारी रुसवाई का होगा, सिर्फ मेरे आंखों के सामने रहो तो भी जीवन जीने का मेरा वो सहारा होगा ©Shama Sanghvi #8LinePoetry