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उल्फत-ए-जहां में कुदरत ने कैसा गर्द मचाया। आज हर ओ

उल्फत-ए-जहां में कुदरत ने कैसा गर्द मचाया।
आज हर ओर कोरोना ने अपना कहर बरपाया।।

खुदा समझ कुदरत पर बरपाया था कहर जो इंसान।
लाचार, बेवश सा मूक बन बैठा, किया जब कुदरत ने इंसाफ।। 👉🏻 प्रतियोगिता- 227

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"गर्द"🌹 

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
उल्फत-ए-जहां में कुदरत ने कैसा गर्द मचाया।
आज हर ओर कोरोना ने अपना कहर बरपाया।।

खुदा समझ कुदरत पर बरपाया था कहर जो इंसान।
लाचार, बेवश सा मूक बन बैठा, किया जब कुदरत ने इंसाफ।। 👉🏻 प्रतियोगिता- 227

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nirajkumar5911

Niraj Kumar

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