आपने लोगों को यह शिकायत करते हुए अक्सर सुना होगा की व्यवस्था कुछ अधिक ही है और उसके चलते तमाम कारण निलंबित पड़े हैं वास्तव में ऐसे जीवन व्यस्त नहीं आपूर्ति अस्त व्यस्त होता है सफलता की कुंजी समय प्रबंधन में ही छिपी है समय के प्रबंधन का विरोधाभास देखिए लगभग समान कद काठी शिक्षा स्वास्थ्य और परिवार पृष्ठभूमि के दो व्यक्तियों में से एक कारोबारी वह पूर्ण विश्वास और उत्साह से कई उधम संचालित करता है उसी के एक कंपनी में कार्यरत दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम अतुल्य एक निर्धारित कार्य नहीं संभाला पहला एक अन्य कंपनी खोली जा रही है कई जानकारियां प्राप्त करने को ऐसे व्यक्ति अपनी व्यवस्था देने में से एक समय निकालेंगे कोई इतना व्यस्त नहीं होता कि इस कार्य के लिए समय ही ना मिले मनुष्य में नेताओं के चलते उसे एक विशेष भूमिका निभाने की अपेक्षा होती है जिसे यह ज्ञान होगा कि वह एक क्षण व्यर्थ नहीं जाएगा ऐसा व्यक्ति कार्य को बोझ नहीं समझता बल्कि कार्य में व्यवस्था से आंदोलित एवं श्रेष्ठ रहता है कार्य में चित्र लगाने वाला ना तो कार्य से कार्यरत और ना ही उसे लड़का आएगा मन और शरीर की संरचना ऐसी है कि उसे व्यस्त नहीं रखेगा तो विभिन्न अंग प्रतियों की कार्य क्षमता क्षीण होती जाएगी अकारणीय व्यक्ति देश समुदाय राष्ट्रीय और स्वयं अपने लिए बोल होता है जीवन में वित्तीय प्रभाव बनाए रखने के लिए मन मंदिर में एक स्पष्ट सार्थक परियोजना प्रतिशत करना होगा प्रयोजन यदि ईश्वरीय विधान के अनुपालन में रहे तो हितकारी होगा क्योंकि मनुष्य ईश्वर की अनुकृति केवल दिखावे के लिए व्यस्त रहने के कोई मायने नहीं है ©Ek villain #सार्थक व्यवस्था #writing