इश्क़ इब्तदई ख्वाइशों में क्या कोई पूरी हुई.. चल अब मुझे सूली चढ़ा आखिरी ख़्वाहिश ना पूछ... चढ़ा सकूँ सूली पे ऐसा हक़ नही दिया खुदा ने बंदों को बस इश्क़ और इश्क़ अता किया....