सब जानते हैं कि हम जैसे होते हैं वैसा ही काटते हैं उस हालत के बीज बोकर मर्यादा के सफल नहीं काटी जा सकती जो मर्यादा का बीज बहुत है वह शौक से मलाल हो जाता है आज हर आदमी सुख की खोज में खड़ा है ऐसे लोगों को संबोधित करते हुए विद्वान ने ठीक ही कहा है मैं कभी कहता हूं कि जीवन सचमुच अंधकार है यदि अंश आना हो तो सारी आकांक्षाएं आदि है यदि ज्ञान ना हो सारा ज्ञान व्यर्थ है या धर्म का ज्ञान हो तो वह भी प्रेम से प्रेरित होकर कर्म करते हैं तब स्वयंसेवक दे एक दूसरे के बंद थे फिर प्रेम भगवान से बनते हैं यह प्रेम का अर्थ संयम है मर्यादा है इसे सब नंबर मर्यादा के बल पर हम सब कुछ कर सकते हैं जो अपने जीवन में करना चाहते हैं हम अच्छा आदमी तभी बन सकते हैं यदि हमें अपने आप में नियंत्रण रखने की क्षमता हो यदि दृढ़ निश्चय है हमें सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता और आशीर्वाद ही दृष्टिकोण हो सकारात्मक सोच हो ऐसा नहीं कि आज का आदमी समय के साथ चले ना चाहे बुरी आचरण को छोड़कर अच्छी जिंदगी का सपना ना देखे बुराई को बुराई समझने के लिए तैयार ना हो सोचना यह है कि हम अपने संस्कारों को कैसे सुधारे जाने तक कैसे पहुंचे बिना जड़ के सिर्फ फूल पत्तों का क्या मूल्य पतझड़ में फूल पत्ते झड़ जाते हैं मगर विकसित अभी इस वक्त पर सहयोग नहीं करते क्योंकि उनके पास लड़की सत्ता सुरक्षित है जिसमें पुणे फूल पत्तों पर फिलहाल उठता है भारतीय संस्कृत में कुछ सूत्र उपलब्ध है बहुजन हिताय सर्वे भवंतु सुखिन ©Ek villain #सार्थक पहल सुखी जीवन में #Holi