"बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले" जिसने तुम्हें गुलामी में जकड़ रखा है इन्सान होने का हक़ छीना हैं पशूओं से भी बदतर समझा हैं उन रूढि - परंपराओं को, मान्यताओं को लात मारो चलो उठो प्रज्ञा - शील - करुणा पर आधारित बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले जिसने तुम्हें स्त्री - पुरुष के भेद में बाट रखा हैं बात बात में मैं उचा, तू नीचा का पाठ पढ़ाया हैं विषमतावाद का विचार दिमाग में पिरोया हैं उन विचारधारा को, बातों को मिटा दो चलो उठो न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले जिसने तुम्हें सारे अधिकारों से बहिष्कृत किया हैं समाज व्यवस्था में शूद्र - नीच माना हैं पाखंड आडंबर और कर्मकांड के जाल में फसा रखा हैं उन धर्मग्रंथों को, किताबों को जला डालो चलो उठो बुद्धिप्रामान्यवाद, तर्कवाद और विज्ञानवाद पर आधारित बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले जिसने तुम्हें धर्म जात पात के नाम पर छला हैं हमेशा अज्ञान के अंधेरे में रखा हैं निराशावादी जिवन जीने पर मजबूर किया हैं उन अज्ञान की जंजीरों को, जात पात के बंधन को तोड दो चलो उठो अत्त दीप भव, बहुजन हिताय बहुजन सुखाय और सब्बमंगल की भावना पर आधारित बुद्ध धम्म संघ की शरण में चले ✍✍✍प्रवीन देवचंद फुलझेले ©pravin fulzele #बुद्ध_धम्म_संघ_की_शरण_में_चले