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बेवज़ह की हसद में फँसे हैं जैसे खून से हाथ रचे हैं

 बेवज़ह की हसद में फँसे हैं जैसे खून से हाथ रचे हैं,
दूसरों पर उछाल कर कीचड़ भूल रहे कि खुद के भी हाथ धँसे है..!

यूँ ही नहीं रखना चाहता कोई किसी से रिश्ता,
अपनापन दिखा कर अपने ही तो हर बार डसे हैं..!

©SHIVA KANT
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