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ज्यादा कुछ कहां मांगते हैं ,बस दो बूंद पानी हमारे

ज्यादा कुछ कहां मांगते  हैं ,बस दो बूंद पानी हमारे हक का दे दो ,
जीना चाहते हैं हम भी धरती पर ,बस चंद हमे भी सांसें दे दो ,

मत   मिटने  दो   अस्तित्व  हमारा , हम भी  धरती के  हैं प्राणी ,
अपनी  किस्मत का  दाना  खाते ,अपने हिस्से का पीते  पानी ,

हम भी तुम्हारी  दुनिया  का हिस्सा  हैं ,क्यों  तोड़ते  हो नीड हमारे
काट   डाले  सभी वृक्ष  तुमने , विध्वंश कर  डाले  जंगल सारे ,

मत  विनाश करो  प्रकृति का  ,थोड़ा  तो  हम पे कर  लो  रहम,
कुदरत के बिन तुम ना जीवित रहोगे ,मत पालो मन में मिथ्या भरम,

बस कुछ दाने और दो बूंद जल ,जी लेंगे हम भी चन्द सांसें,
उड़ने दो ऊंचे अम्बर में खुलकर ,खोल दो अब क्यों पंख हमारे बांधे।।
                                                    पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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