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उम्मीद के धागों से जिन्दगी का जाल बनाता हूं। बुरे

उम्मीद के धागों से जिन्दगी का जाल बनाता हूं।
बुरे वक्त का मुंहतोड़ जवाब में देता हूं।

कुछ वक्त के लिए जब हो जाता हूं कमजोर।
तो धीमें- धीमें क़दम बढ़ाता हूं।

विश्राम नहीं संघर्ष का भाव जगाता हूं।
सुख-दुख की दोनों घड़ीयो को स-हर्ष स्वीकार में करता हूं।

परिवार, हमसफ़र और दोस्तों पे सर्वस्व न्योछावर करता हूं।
हर दिन जीवन जीने का आंनद उठाता हूं। आंनद उठाता हूं।
आंनद उठाता हूं।।
उम्मीद के धागों से जिन्दगी का जाल बनाता हूं।
बुरे वक्त का मुंहतोड़ जवाब में देता हूं।

कुछ वक्त के लिए जब हो जाता हूं कमजोर।
तो धीमें- धीमें क़दम बढ़ाता हूं।

विश्राम नहीं संघर्ष का भाव जगाता हूं।
सुख-दुख की दोनों घड़ीयो को स-हर्ष स्वीकार में करता हूं।

परिवार, हमसफ़र और दोस्तों पे सर्वस्व न्योछावर करता हूं।
हर दिन जीवन जीने का आंनद उठाता हूं। आंनद उठाता हूं।
आंनद उठाता हूं।।
gauravkumar8506

Gaurav Kumar

New Creator