उम्मीद के धागों से जिन्दगी का जाल बनाता हूं। बुरे वक्त का मुंहतोड़ जवाब में देता हूं। कुछ वक्त के लिए जब हो जाता हूं कमजोर। तो धीमें- धीमें क़दम बढ़ाता हूं। विश्राम नहीं संघर्ष का भाव जगाता हूं। सुख-दुख की दोनों घड़ीयो को स-हर्ष स्वीकार में करता हूं। परिवार, हमसफ़र और दोस्तों पे सर्वस्व न्योछावर करता हूं। हर दिन जीवन जीने का आंनद उठाता हूं। आंनद उठाता हूं। आंनद उठाता हूं।।