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यादों की गर्द जब-जब उड़ती है दिल के दर्द को और बढ़

यादों की गर्द जब-जब उड़ती है दिल के दर्द को और बढ़ा देती है,
खामोश से शांँत दिल में जाने कैसी - कैसी हलचल मचा देती है।

ये गर्द कभी यादों को धुंँधला कर देती है और कभी दिल में बिठा देती है,
ये यादों की गर्द चाहे ना चाहे हमको कभी हंँसा और कभी रुला देती है। 👉🏻 प्रतियोगिता- 227

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"गर्द"🌹 

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
यादों की गर्द जब-जब उड़ती है दिल के दर्द को और बढ़ा देती है,
खामोश से शांँत दिल में जाने कैसी - कैसी हलचल मचा देती है।

ये गर्द कभी यादों को धुंँधला कर देती है और कभी दिल में बिठा देती है,
ये यादों की गर्द चाहे ना चाहे हमको कभी हंँसा और कभी रुला देती है। 👉🏻 प्रतियोगिता- 227

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🌹"गर्द"🌹 

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I