★ हमारे रिश्ते ★ उफ्फ ये गिरते और फिर से संभलते रिश्ते, उफ्फ ये पल भर में रेत से बिखरते रिश्ते । कभी छाँव में धूप के जैसे चमकते रिश्ते, कभी पास तो कभी दूर से पनपते रिश्ते । कुछ आज में तो कुछ कल में बदलते रिश्ते, कुछ अपनी ही शान में हर घड़ी बदलते रिश्ते । तेरी और मेरी याद के कुछ अनकहे से रिश्ते, कुछ पाकर खोते हुए से अपने मे ही सुलगते रिश्ते । कभी बचपन तो कभी जवानी में सिमटते रिश्ते, हर एक रश्ते के बचाव में अनचाहे बनते रिश्ते ।... सुबह की चाय और शाम चाय पर चहकते रिश्ते , पड़ोस की बालकनी में बाल सुखाते निखरते रिश्ते । हर रोज की भगा दौड़ी में वो नए नए से बनते रिश्ते, वो अनजान से किसी के दर्द में आँख से बिखरते रिश्ते । ★ हमारे रिश्ते ★ उफ्फ ये गिरते और फिर से संभलते रिश्ते, उफ्फ ये पल भर में रेत से बिखरते रिश्ते । कभी छाँव में धूप के जैसे चमकते रिश्ते, कभी पास तो कभी दूर से पनपते रिश्ते ।