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अर्ज़ है.... मेरी उम्र मुझसे सवाल करती है आईना देख

अर्ज़ है.... मेरी उम्र मुझसे सवाल करती है आईना देखूँ तो, बुरा हाल करती है

करीब आकर कहती है मुझसे, तू ग़म-ए-ज़िन्दगी पर, मलाल करती है

हंसी आती है मुझे, उसकी ऐसी बातों पर सोचूँ तो आईना भी क्या कमाल करती है

दिखा देती है वो, दबी-छुपी हसरतें भी देखो, वो मेरा कितना ख़याल करती है

चेहरे की आराईशें, खोल देती है राज़ सारे कुछ दर्द-ए-उल्फ़त, मुझे पामाल करती है

कैसे कर दूँ बयां मैं अपना दिल-ए-हाल उम्र की ढलती शाम, मुझे बे-हाल करती है..!!

©Kanchan Agrahari
  #aaina  Anshu writer - @Hardik Mahajan Neelam Modanwal .. @_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09 sushil dwivedi