ज्यों ख्वाब दिल में मर जातें हैं बताओ कोई मुझे उन्हें कहाँ दफ़नातें हैं कुछ तो खुद ही दिल की दिवारों में सिमटे रह जातें हैं कुछ हात से छुटकर बिखर जातें हैं और ज्यों बच जातें हैं बताओ कोई मुझे उन्हें कहाँ दफ़नातें हैं ज्यों जन्में फिर इन आँखो में वो पलभर में ही गुजरे हुए वक्त कि किताब में कहाँ छोड़ दिए जातें हैं ज्यों ख्वाब दिल में मर जातें हैं बताओ कोई मुझे उन्हें कहाँ दफ़नातें हैं.. शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #याँदों_की_बारात