कि हावाओ को ,मैने रुख बद्ल्ते देखा है उज्रे चमन मे भि ,ढकमक फुल खिल्ते देखा है ।।।। जाहा पे बडे बडे इमारते हुवा कर्ति थि कभि उस इमार्ते को भि मैने धुल होते देखा है क्या गुरुर कर्ते हो खुद पे ।।। बडे बडे सुर बिरो को मोछर मारते मैने देखा है ।।।।। by -kumar Bishal #गुरुर अछा नहि