ग़ज़ल फूल खिलते हैं बिखरते हैं बहुत तेजी से दीये बुझते तो धधकते हैं बहुत तेजी से एक मैं हूँ कि अभी तक भी नहीं बदला हूँ एक वो हैं कि बदलते हैं बहुत तेजी से मेरी धड़कन को नहीं तुम तो सँभालो खुद को दिल का क्या है ये धड़कते हैं बहुत तेजी से चीज़ ही क्या है तअल्लुक भी यहाँ दुनिया में आजकल बाल भी झड़ते हैं बहुत तेजी से कितने नादां हो भरोसा है तुम्हें पत्थर पर अपने जब घात भी करते हैं बहुत तेजी से @धर्मेन्द्र तिजोरीवाले "आज़ाद"