टेढ़े मेढ़े रास्तों से बच के निकल रहे हो.. अच्छा है ,अब थोड़ा संभल रहे हो.. जहाँ मुमकिन न था राहतों का मिल पाना , उन सरायों से वास्ता ,कम कर रहे हो.. अच्छा है अब थोड़ा बदल रहे हो.. दिलो दिमाग़ की उलझन में सुकूं कहाँ , अच्छा है वक़्त के साँचे में ढल रहे हो.. जहाँ मुमकिन न था साथ जी पाना, कहकर अलविदा,आगे चल रहे हो, अच्छा है अब थोड़ा सा बदल रहे हो.. ©sapna 'Chanchal' #nojotowriters #mindheart #Chanchalpoetry #mindset #Badalna