"अधीर मन" अभिलाषाएँ आलिंगन होती रही, अनजाने में निष्ठुर तन तनता रहा, भरी भरी रंगीन वसुंधरा छोड़कर.., यह मन भौतिक जाल में फँसता रहा। रिश्ते नातों के कुछ रथ सजते रहे, बावलो सा अपनापन बनता रहा, यथार्थ तत्व की सत पगडंडी छोड़कर.., यह तन मन लालसा में धँसता रहा। दौलतो के कुछ मुकाम बनते रहे, कामयाबी की बातें सुनता रहा, जो करना था वो ही ना कर पाया.., अधीर मन दूसरों से जलता रहा, अधीर मन दूसरों से जलता रहा। ©Anand Dadhich #अधीरमन #heart #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #indianwriters #feelings