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बेटी हूँ मैं बोझ नहीं हूँ....बोझ उठाने वाली मैं। आ

बेटी हूँ मैं बोझ नहीं हूँ....बोझ उठाने वाली मैं।
आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में।
जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। 
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।

माँ के पेट से हिस्से मेरे , बिछते आये कांटे हैं।
भ्रूण ही थी जब मेरे अपने, लड़का लड़की छाँटे हैं
जननी भी जब बेटी जनती,खुद को कहे अभागन है।
बेटा जो आये घर तो फिर बिन बरखा ही सावन है।
माँ अंतर कर लेना मेरे और भाई की थाली में।
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।


भाई की पढ़ी किताबों से सारी ज़मात पढ़ जाउंगी।
शादी की मत करना चिंता, खुद दहेज़ बन जाउंगी।
बेटा पढ़ अपने घर में शिक्षा समृद्धि लायेगा।
बेटी शिक्षित होवे तो पूरा समाज पढ़ जायेगा।
मत कतरो पँखो को मेरे कैद करो न जाली में
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।


मर्यादा से मर्यादित राम को कौन ज्ञान ये देता है।
हर युग में सीता से क्यों वो अग्निपरीक्षा लेता है।
मर्दो के अंधे समाज में नारी ही बदनाम हुई।
खेला जुआ धर्मराज ने द्रौपदी क्यों नीलाम हुई।
अबला ही मत समझो बन सकती हूँ चण्डी काली मैं।
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।

छेड़े मारे रेप करे फिर भी वो मर्द कहाता है।
इसका दोष भी लड़की के उस पहनावे पर जाता है।
तुच्छ समाज की ओछी बातें नारी पर ही आएंगे।
बेटे की गंदी नजरों को कब माँ बाप झुकायेंगे।
जैसी विवसता नारी की है कैसे वो जी पायेगी।
गूंगी समाज केवल मर्दो की दासी ही रह जायेगी।
माँ बहनों का नाम क्या अब बस रह जायेगा गाली में
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।


बेटी हूँ मैं बोझ नहीं....खुद कर लुंगी रखवाली मैं।
आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में।
जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। 
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। #betibojhnhi #dedicatedtodaughter#emotionalpoetry #lovepoetry
बेटी हूँ मैं बोझ नहीं हूँ....बोझ उठाने वाली मैं।
आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में।
जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। 
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।

माँ के पेट से हिस्से मेरे , बिछते आये कांटे हैं।
भ्रूण ही थी जब मेरे अपने, लड़का लड़की छाँटे हैं
जननी भी जब बेटी जनती,खुद को कहे अभागन है।
बेटा जो आये घर तो फिर बिन बरखा ही सावन है।
माँ अंतर कर लेना मेरे और भाई की थाली में।
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।


भाई की पढ़ी किताबों से सारी ज़मात पढ़ जाउंगी।
शादी की मत करना चिंता, खुद दहेज़ बन जाउंगी।
बेटा पढ़ अपने घर में शिक्षा समृद्धि लायेगा।
बेटी शिक्षित होवे तो पूरा समाज पढ़ जायेगा।
मत कतरो पँखो को मेरे कैद करो न जाली में
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।


मर्यादा से मर्यादित राम को कौन ज्ञान ये देता है।
हर युग में सीता से क्यों वो अग्निपरीक्षा लेता है।
मर्दो के अंधे समाज में नारी ही बदनाम हुई।
खेला जुआ धर्मराज ने द्रौपदी क्यों नीलाम हुई।
अबला ही मत समझो बन सकती हूँ चण्डी काली मैं।
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।

छेड़े मारे रेप करे फिर भी वो मर्द कहाता है।
इसका दोष भी लड़की के उस पहनावे पर जाता है।
तुच्छ समाज की ओछी बातें नारी पर ही आएंगे।
बेटे की गंदी नजरों को कब माँ बाप झुकायेंगे।
जैसी विवसता नारी की है कैसे वो जी पायेगी।
गूंगी समाज केवल मर्दो की दासी ही रह जायेगी।
माँ बहनों का नाम क्या अब बस रह जायेगा गाली में
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में।


बेटी हूँ मैं बोझ नहीं....खुद कर लुंगी रखवाली मैं।
आने दो मुझे जग में बापू ,मत फेंको ना नाली में।
जी जाती हूं अक्सर अब मैं मुश्किल और बदहाली में। 
आने दो मुझे जग में बापू,मत फेंको ना नाली में। #betibojhnhi #dedicatedtodaughter#emotionalpoetry #lovepoetry