छटा अब रात का अंधेरा, दूर हटा तारो़ का पहरा। सोन कलश अरुण ने बिखेरा, हर दिशा में डाले घेरा। किरन-किरन सूरज ने बिखराई जीवन को नवजीवन करने भोर आई। ©Harsh Pal भोर