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कुदरत की जवानी भूल सखे।।। कल-कल करता था नदियों का

कुदरत की जवानी भूल सखे।।।
कल-कल करता था नदियों का पानी,
हरी-भरी डालियां ,पेङ , पौधे , मैदान , समुंदर
उन पर उडती, मुस्कुराती चिङिया रानी।।
दूर-दूर तक स्वच्छ हवा , प्रकृति को
पारदृश्य बनाते पवन-पानी।।
इससे बङकर थी एक मुस्कान, जो
उसको उमंगित थे करते दिखे।।
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।

अब नहीं रहा वो, न्यारापन,
बस, गंध हवा की बची घुटन।।
प्रकृति, प्रकृति ही नहीं रही,
मानव ने किया बर्बाद सृजन।।
कुछ ज्ञान बढ़ा, सम्मान बढ़ा, अभिमान बढ़ा,
अपनी बुद्धी पर प्रकृति-प्रेम लिखे,
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।

गर ज्ञान बढ़े, सम्मान बढ़े, अभिमान बढ़े,
तब ही तो जंगल, वन, उपवन और जीवन संग इंसान बढ़े।।
इंसान बढाने का सपना यदि सपना ही रहा तो अपमान कड़े,
इंसान की नव पीढ़ी की ख़ातिर, आज का हर इंसान लड़े।।
तब दिल की बात, दिमाग चखे, तब कुदरत की जवानी याद रखे।।
तब कुदरत की जवानी याद रखे, तब कुदरत की जवानी याद रखे।। #प्रकृति,#nature,#हिन्दुस्तानी,#भारतीय,#स्वच्छता,#वृक्षारोपण,#आशुतोष_हिन्दुस्तानी,#ashutosh_indian,#real_indian
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।
कल-कल करता था नदियों का पानी,
हरी-भरी डालियां ,पेङ , पौधे , मैदान , समुंदर
उन पर उडती, मुस्कुराती चिङिया रानी।।
दूर-दूर तक स्वच्छ हवा , प्रकृति को
पारदृश्य बनाते पवन-पानी।।
इससे बङकर थी एक मुस्कान, जो
उसको उमंगित थे करते दिखे।।
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।

अब नहीं रहा वो, न्यारापन,
बस, गंध हवा की बची घुटन।।
प्रकृति, प्रकृति ही नहीं रही,
मानव ने किया बर्बाद सृजन।।
कुछ ज्ञान बढ़ा, सम्मान बढ़ा, अभिमान बढ़ा,
अपनी बुद्धी पर प्रकृति-प्रेम लिखे,
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।
कुदरत की जवानी भूल सखे।।।

गर ज्ञान बढ़े, सम्मान बढ़े, अभिमान बढ़े,
तब ही तो जंगल, वन, उपवन और जीवन संग इंसान बढ़े।।
इंसान बढाने का सपना यदि सपना ही रहा तो अपमान कड़े,
इंसान की नव पीढ़ी की ख़ातिर, आज का हर इंसान लड़े।।
तब दिल की बात, दिमाग चखे, तब कुदरत की जवानी याद रखे।।
तब कुदरत की जवानी याद रखे, तब कुदरत की जवानी याद रखे।। #प्रकृति,#nature,#हिन्दुस्तानी,#भारतीय,#स्वच्छता,#वृक्षारोपण,#आशुतोष_हिन्दुस्तानी,#ashutosh_indian,#real_indian