नस्ल-ऐ-इंसान को बचाने आयी इंसानियत को, हैवान की हैवानियत मार गई, उम्मीदों से भरी जो जिंदगी थी जो, अब खुद अपने अंत की दुआएं करने लगी, देखो दुआ कबूल हुई जिंदगी की, लो अब धीरे धीरे वह भी मरने लगी। नस्ल-ऐ-इंसान को बचाने आयी इंसानियत को, हैवान की हैवानियत मार गई, उम्मीदों से भरी जो जिंदगी थी जो, अब खुद अपने अंत की दुआएं करने लगी, देखो दुआ कबूल हुई जिंदगी की, लो अब धीरे धीरे वह भी मरने लगी। #yqdidi #yqquotes #yqhindi #yqteddy #yqthoughts #shayari #yq_gudiya #life