आज हुई मन से कुछ बातें, मन ही मन मन से यह पूंछा। मन क्यों करता मन की मानी, मन मन ही मन मन की करता।। सुनो कहा फिर मन ने तन से, तन की पीड़ा तन की तृष्णा,माया, तन ही तनकी प्यास बुझाता आया। फंसा जो मृग जल के दलदल में, तब फिर दोष बिचारे मन ने पाया।। मन हूँ मन की नहीं करूँगा मानी, पहले तन को वश में करले प्राणी। शेष नहीं दासत्व सिवा कुछ मन के, यदि तन वश में हो जाए सज्जन के।। पहले खुद को वश में करलो, अपना ध्यान स्वयं ही धरलो। तुम्हें मनुष्यता का सिरमौर बना दूंगा। शेष तुम्हारे चरणों में संसार झुका दूंगा।। आज हुई मन से कुछ बातें, मन ही मन मन से यह पूंछा। मन क्यों करता मन की मानी, मन मन ही मन मन की करता।। -हेमंत समाधिया "इक परदेसी" ©Hemant Samadhiya मन की बात 🙏 #beinghuman #mana #kavita #spirutuality