काली सुरख रातों में महकाब मिल गया। उनसे मिले तो लगा परवरदिगार मिल गया।। कोई तो वजा़ दो उनसे इश्क ना करने कि खुदा ने छुपाया जग से , वो फरिश्ता हु-ब-हु मिल गया।। नजाकत झलकती है उसके चलने , बोलने , हंसने ,हर अदा में वो हकिकत थी ,या किसी शायर का नज्म मिल गया ।। बड़ी थकावट थी , बदन में ,हयात से उसे देखा ,तो आयात का शुकुन मिल गया।। उनसे मिले तो लगा परवरदिगार मिल गया।। #vipinbansalg unse mile to Laga parvardigar mil gaya काली सुरख रात =अमावस्या महकाब = चंद्रमा परवरदिगार=भगवान फरिश्ता =भगवान का दुत नज्म =एक त्तरिके कि शायरी हयात =जिंदगी