काफी लंबा चला सिलसिला बातो का साहब , थोड़ा और चलते तो जन्नत मिल जाती । बो तो थी बातो में ही ब्यस्त , गर बातो को ही समझती तो मुझे राहत मिल जाती ।। में उलझा रहा बो उलझी रही . काश समझते एक दूसरे को , तो दोस्ती को प्यार में बदलने की बजह मिल जाती । में जज्बात अपने लिखता रहा बो पढ़ती रही , बो लफ्जो पर जरा गौर करती तो . उसे उन लफ्जो में मोहब्बत मेरी दिख जाती ।। पागल था में पागल थी बो , जरा समझदारी दिखलाते तो बात बन जाती । डरता था में इजहार करने से , गर इजहार कर दिया होता तो जिंदगी मुकम्मल हो जाती ।। काफी लंबा चला बातो का सिल... थोड़ा और चलते तो.... @neelu. @neelu.