मुझको पत्थर कर दिया इस बेरहम ज़माने ने... हसंने मुस्कुराने लायक भी न छोड़ा ज़माने ने... जब सोचने बैठी कि कुछ तो कर गुजरना है... मेरी हर सोच पर अंकुश लगाया इस ज़माने ने... सब छोडकर ख़ुद के लिए जब जीने की सोची... तो ख़ुदगर्ज हो तुम ये बताया इस ज़माने ने... सब कुछ सुनकर भी इस मुकाम़ पर आ खड़े हैं... तो सब बोल रहें हैं तुम्हें काबिल बनाया इस ज़माने ने... © अनामिका #ज़माने ने