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हां किसी को जलना पड़ता किसी के बुझने की खातिर सूरज

हां किसी को जलना पड़ता
किसी के बुझने की खातिर
सूरज को तपना पड़ता है
एक फूल खिलने की खातिर
पीछे हटना ही पड़ता है
उछाल ले आने की खातिर
एसी को तपना पड़ता है
ठंडक लगवाने की खातिर
उपकार सदा ना हाथों से
अनजाने करना पड़ता है
खुद को कमाने की खातिर कर
देकर सेस अनजानो की खातिर

©दीपेश #sacrifies
हां किसी को जलना पड़ता
किसी के बुझने की खातिर
सूरज को तपना पड़ता है
एक फूल खिलने की खातिर
पीछे हटना ही पड़ता है
उछाल ले आने की खातिर
एसी को तपना पड़ता है
ठंडक लगवाने की खातिर
उपकार सदा ना हाथों से
अनजाने करना पड़ता है
खुद को कमाने की खातिर कर
देकर सेस अनजानो की खातिर

©दीपेश #sacrifies