पीया है ज़ाम मैने अब स्वामी के नाम का । दिल और ज़ान भेंट हुए गुरू के नाम का ।।टेर।। सुरतों की प्यास बुझ गई स्वामी के नाम से । ऐसा है अमृत घूँट मेरे स्वामी नाम का (1) सतगुरू ओ स्वामी में है नहीं फर्क देख ले । साकार ओ निराकार दोनों रूप नाम का (2) सतगुरू के रूप में ही तुझ को दीख पड़े यार । जब जाप नित्त करे राधास्वामी नाम का (3) प्रत्यक्ष रूप में तू स्वामी सतगुरू को जान । है गुप्त रूप स्वामी सब जानो की जान का (4) अन्तर में याद नाम की हर वक्त्त बना के रख । हो जावे मेल स्वामी के ध्वन्यात्मक नाम का (5) स्वामी के लोक में तेरा हो जायगा वसर । जो तू उड़ेगा लेके बल राधास्वामी नाम का (6) सुमिरन छिन एक ना भूले राधास्वामी नाम का । सतगुरू से प्यार लागे जो हो प्यार नाम का (7) *राधास्वामी* राधास्वामी प्रीति बानी 2-68 याद नाम की ।