तेरी सुधि बिन जग है सूना तू सृजन का मधुमय है हर रुप तेरी निराली है इन्द्रधनुष सी तेरी लाली है रोम-रोम में तेरे प्रेम है पलता जीवन पथ की तु सच्ची निशानी है ...✍भारती कुमारी भारती कुमारी