कर्ण व्यथा (अनुशीर्षक में) आओ सुनाऊँ अपनी कथा क्या सोची किसी ने मेरी व्यथा? माता ने मेरा परित्याग किया गंगा में मुझे प्रवाह किया किन्तु,भाग्य था मेरा बहुत बलवान हुआ काल का नव निर्माण अधिरथ से मिला,पुत्र सम्मान कौन मात, पिता कौन