#OpenPoetry यह आँखे यह आंखें! जो हर पल तुम्हारी इज्जत को तार-तार करती है जो एक सशक्त नारी को भी लाचार करती है जो हर वक्त एक साया बनकर तुम पर जमी रहती है जो हर क्षण तुम्हारे दिल को एक भयावह दास्तां कहती है जो खा जाना चाहती है तुम्हें नोचकर जो जीती है हर वक्त बस हवस सोचकर जो छूना चाहती है हर वक्त तुम्हारे बदन को जो छिन्न-भिन्न कर देना चाहती है तुम्हारे तन को इस असुरक्षा के जाल को तुम काट नहीं पाती हो अपने दर्द को किसी के संग बांट नहीं पाती हो कब तक सहोगी उन नजरों के वार को बिना लड़े कब तक स्वीकार करती रहोगी अपनी हार को अब तुम्हें बोलना होगा उन नजरों को जवाब जो देना है प्रतिक्षण जो सही पीड़ा तुमने उनका हिसाब लेना है उठे लड़ो और जीत की ओर आगे बढ़ो मां शक्ति तुम्हारे साथ है कब तक रहोगी आश्रित दूसरों पर तुम्हारी सुरक्षा अब तुम्हारे ही हाथ है #OpenPoetry #poemsbynancy #poemholic