धीरे धीरे मुझपे जो तारी बडप्पन हो गया गुम कहीं माज़ी मे फिर मेरा वो बचपन हो गया हाथ छोडा़ नाता तोड़ा आप ही चल पड़ा था मै महसूस खुद मे एक तबदीली खुदपन हो गया छोड़ कर जब मै उन्हें अपनी ज़िंदगी जीने चला एक सदा आइ रुक बेटा हमपे तारी बुढापन हो गया दे सहारा हमको बेटा ये मां ने लगाई थी गुहार खत्म हमारी गोदमें ये तेरा लडकपन हो गया खूब मेवे खाएं हैं तूने अब तक ऐश ओ इशरत के एक लुकमा ही खिला जा अब भारी भूखापन हो गया जोश ए जवानी के चलते मै उठा लाया हूँ आग उसी आग की लपटों से रिश्तों मे झुलसापन हो गया लेखक आशिक़ मोमिन #Relation हो गया..