#सावन "परदेश में बैठाचाय की टपरी पे एक लड़का,, एक रोज जो बैठा सावन में, फिर ठंडी ठंडी हवा चली वो मौसम था जो दिल को छुआ , फिर याद आई वो हसीं कली वो भी हा वो भी क्या दिन थे जब उसकी गली से गुजरा करते थे वो छत पे आती थोड़ा मुस्काती और फिर हम चुपके से देखा करते थे एक रोज जो बैठा सावन में, फिर ठंडी ठंडी हवा चली। वो मौसम था जो दिल को छुआ फिर याद आई वो हसीं कली हां डर भी रहता था थोड़ा जी हा डर भी रहता था थोड़ा घरवालों का। बस एक झलक दिख जाए उसकी बस ये ही सोंचा करते थे एक रोज जो बैठा सावन में फिर ठंडी ठंडी हवा चली l वो मौसम था जो दिल को छुआ फिर याद आई वो हसीं कली।। क्या दिन थे वो बचपन के जो खुशी खुशी में बीते थे। अब बड़े हुए तो दिखे नही वो गांव की प्यारी पगडंडी भी ।।2 जहां रोज साम को सब यार बैठ मस्ती में झूमा करते थे। एक रोज जो बैठा सावन में फिर ठंडी ठंडी हवा चली। वो मौसम था जो दिल को छुआ फिर याद आई वो हसीं कली अब तो बस वो यादें है गांव भी हम बस भूले बिसरे जा पाते है । मां रोती है बाप भी बैठा रास्ता देखा करता है बहन भी बोले भईया याद बहुत अब आती है आयेंगे एक रोज बहन बस तू सबको संभाले रक्खा कर। एक रोज जो बैठा सावन में फिर ठंडी ठंडी हवा चली वो मौसम था जो दिल को छुआ फिर याद आई वो हसीं कली फिर याद आई वो हसीं कली।। 🙏 KD Yadav 🙏 ©KD Yadav #चाय एक परदेशी बाबू चाय की चुस्की के साथ दोस्तों को अपनी गांव की यादों को ताजा करते हुऐ #Loneliness #परदेशी