आप कहें तो हम चुप हो जाते है बोल के भी क्या फायदा हम गाय थोड़े ही है जो हमारा सम्मान होगा और चाहिए भी नहीं कोई सम्मान इक इंसान समझ लो वो ही होगी बहुत बड़ी मेहरबानी आप कहें तो हम चूँ भी न करेंगे हमें पता हमारा अंजाम क्या होगा जबान काट दी जाएगी या मरने के बाद पहचान भी छीन ली जाएगी लावारिस लाश की तरह जला दिए जाएंगे हमारा हक थोड़े बनता है आवाज उठाना हमारी आवाज तो कभी थी ही नहीं अब दोष किसे दे? Remaining poem in caption 💔👇 इस पढाई को जिसने बोलना सीखा दिया वरना चारदीवारी में रहते तो अच्छा था ना कुछ जानते, ना कुछ समझते तो अच्छा था आखिर क्यों औरत होना गुनाह है ऊपर से छोटी जात का होना सबसे बड़ा गुनाह आखिर क्यों है दरिंदगी अमानवीय हरकतें क्यों बढ़ती जा रही है आखिर लोग चुप क्यों है