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जब किसी के आने की प्रतीक्षा हो और वो न आये, न मन क

जब किसी के आने की प्रतीक्षा हो और वो न आये,
न मन किसी को चाहे और न उसे कोई भाऐ।
ये जीवन की डोर भी बहुत विचित्र है यारों,
कि हम तो सबको मित्र कहें पर हम ही न सुहाये।।
                    (Varun Savita) क्या है ।
जब किसी के आने की प्रतीक्षा हो और वो न आये,
न मन किसी को चाहे और न उसे कोई भाऐ।
ये जीवन की डोर भी बहुत विचित्र है यारों,
कि हम तो सबको मित्र कहें पर हम ही न सुहाये।।
                    (Varun Savita) क्या है ।