वफ़ा को भूल कर आशिक़ जफ़ा को याद करता है; संभाले दाग़ दिल के, हर दगा को याद करता है। जो कहते थे, हैं तेरे हम, बुलाने पर भी ना आये; मेरा दुश्मन मुझे, मेरी ख़ता को याद करता है। जो हर तूफां बवंडर को कभी सह जाता था हंसकर; शजर बूढ़ा, अकेला, उस शफ़ा को याद करता है। गुज़र ही जाएंगे लम्हे जो आने पर उतारू हैं; गुज़र जाने पे ही गुलशन सबा को याद करता है। न तुम होगे न हम होंगे न होंगे ये जहां वाले; तो देखें कौन पहले उस ख़ुदा को याद करता है। #YQdidi #अंजलिउवाच #वफ़ा #जफ़ा #दाग़ #दगा #ख़ुदा