इंसान होके ज़रा इंसानियत भी रखिए,,, गैरों के काम आने की आदत भी रखिए,,, जिस्म लिवास है तुझमे बसी रूह का,,, तो रूह को ज़िंदा रखने की रिवायत भी रखिए।।। यूँ तो कितने ही लोग आए और चले गए,,, रौशनी में चिराग़ जलाये और अँधेरे में बुझा कर चले गए,,, अब जो आ ही गए हों तो रोशनी कर जाने की इनायत भी रखिए।।। जिस्म लिवास है तुझमे बसी रूह का,,, तो रूह को ज़िंदा रखने की रिवायत भी रखिए।।। जुबाँ मिली तो क्यूँ ना रस कानो में घोलिऐ,,, जो चीर के रख से किसी का दिल ना ऐसे बोल बोलिए,,, जुबाँ के ताकत की कुछ अलग ही कहानी है,,, कहीं अपने भी पराये हैं और कहीं गैरों पे भी मनमानी है ।। हर कोई हो जाएगा आपका अपना, आप बस दिल अपना सजा के तो रखिए।।। जिस्म लिवास है तुझमे बसी रूह का,,, तो रूह को ज़िंदा रखने की रिवायत भी रखिए।।।