ऐ पथिक कियो बैठा है तू उदास ,जाना है अभी तो कोसों दूर। मन की शंकाओं को दूर कर,डुबो दे खुद को जोश मे। जाना है अभी तो कोसों दूर। कियो तू इस सोच मे कौन हैं तेरा अपना, तेरा मेरा कोई न होता,मेहनत ही तेरी अपनी हैं। कियो तु इस भृम मे,कौन सी दिशा हे जाना, लक्षय ही तेरी दिशा है होनी हैं बढे चल उसी दिशा मे। ए पथिक कियो बैठा है उदास ,जाना है अभी तो कोसों दूर। #OpenPoetry