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"कुछ तो बात है इन सर्द हवाओं में" आज खड़ी थी मैं म

"कुछ तो बात है इन सर्द हवाओं में"

आज खड़ी थी मैं मौसम और उसकी खूबसूरती के साथ,
ख्याल आया यूँ ही मन में..
की क्या ये हवायें भी है अपनों की तलाश में ??
यूँ तो जिंदगी सुनी सी लगती है, पर कुछ अनजाना अहसास लगा मुझे इन हवाओं में..
ये ऐसे भटकती क्यूँ है ? क्या ये भी है अपने किसी पनाह के इंतजार में.. ??
हाँ इनका वजूद नहीं कुछ, पर फिर इनसे क्यों फर्क पड़ता है हमें??
जवाब जो भी मिले,
पर आज मैंने इन्हें अपनी बंद आँखों और खुली बाहों से, समा लिया है खुद में..
"आखिर कुछ तो बात है इन सर्द हवाओं में.." 
 "कुछ तो बात है इन सर्द हवाओं में"

आज खड़ी थी मैं मौसम और उसकी खूबसूरती के साथ,
ख्याल आया यूँ ही मन में..
की क्या ये हवायें भी है अपनों की तलाश में ??
यूँ तो जिंदगी सुनी सी लगती है, पर कुछ अनजाना अहसास लगा मुझे इन हवाओं में..
ये ऐसे भटकती क्यूँ है ? क्या ये भी है अपने किसी पनाह के इंतजार में.. ??
हाँ इनका वजूद नहीं कुछ, पर फिर इनसे क्यों फर्क पड़ता है हमें??
"कुछ तो बात है इन सर्द हवाओं में"

आज खड़ी थी मैं मौसम और उसकी खूबसूरती के साथ,
ख्याल आया यूँ ही मन में..
की क्या ये हवायें भी है अपनों की तलाश में ??
यूँ तो जिंदगी सुनी सी लगती है, पर कुछ अनजाना अहसास लगा मुझे इन हवाओं में..
ये ऐसे भटकती क्यूँ है ? क्या ये भी है अपने किसी पनाह के इंतजार में.. ??
हाँ इनका वजूद नहीं कुछ, पर फिर इनसे क्यों फर्क पड़ता है हमें??
जवाब जो भी मिले,
पर आज मैंने इन्हें अपनी बंद आँखों और खुली बाहों से, समा लिया है खुद में..
"आखिर कुछ तो बात है इन सर्द हवाओं में.." 
 "कुछ तो बात है इन सर्द हवाओं में"

आज खड़ी थी मैं मौसम और उसकी खूबसूरती के साथ,
ख्याल आया यूँ ही मन में..
की क्या ये हवायें भी है अपनों की तलाश में ??
यूँ तो जिंदगी सुनी सी लगती है, पर कुछ अनजाना अहसास लगा मुझे इन हवाओं में..
ये ऐसे भटकती क्यूँ है ? क्या ये भी है अपने किसी पनाह के इंतजार में.. ??
हाँ इनका वजूद नहीं कुछ, पर फिर इनसे क्यों फर्क पड़ता है हमें??