Ek dost aisa bhi ... ये कहानी एक विचार कि है, ज़िन्दगी के अहम किरदार की है । किरदार वो जिसने मेरी सोच को नया आयाम दिया, शर्तें कुछ भी हो दोस्ती की, हर लफ्ज़ को मुकम्मल अंजाम दिया ।। दोस्त वो जो मासूम था बहुत, कहां कुछ जानता था, ज़माने की चालाकी से अनजान, मेरी गलती पे भी मुझसे माफ़ी मांगता था । अनजान इस कदर की उसे चालाकी से भी चालाकी सीखा ना पाया,