बटेंगी राहतें, हर दर्द को अब कान मिलेगा झोपड़ी को वादों में पक्का मकान मिलेगा वर्षों से जिनके दर्शन को तरसती थी आंखें चुनाव भर आपकी चरणों मे कुरबान मिलेगा ढिबरी की मद्धम रोशनी में सोते हुए गाँव को चौबीस घंटे बिजली का असंभव वरदान मिलेगा मोहल्ले में, चौराहों पर, सुकून से घूमने वालों में जनेऊधारी हिन्दू टोपी वाला मुसलमान मिलेगा वादों की बारिश में नहाएगा हर एक मतदाता गरीबी में आत्महत्या करता किसान मिलेगा कहने को तो ये लोकतंत्र का उत्सव है यारों अपने स्वार्थ को साधता हर इंसान मिलेगा #election #चुनाव #india #bharat