…......…....…....... ©abhishek manoguru हिंदुस्तान में हिज़ाब को मजहब के नाम पर स्वावलंबन से अधिक महत्व देने वाली महिलाओं को ईरान में हुई घटना से सबक लेना चाहिए कि आपके समर्थन में खड़े पुरुष भी उसी मानसिकता के हैं जो कल आपके हिज़ाब का विरोध करने पर 'महासा अमीनी' के साथ हुए सलूक का समर्थन करेंगे ना कि आपका । तब भी हवाला अल्लाह का दिया जायेगा..... इनकी ईरान की महिलाओं के मसले पर चुप्पी और नुपुर की प्रतिक्रियात्मक टिप्पणी पर भेड़चाल वाली एकता इसकी द्योतक है । अल्लाह की कुरान की आड़ में जो मुल्ला की कुरान आपके जेहन में भरी जा रही है उसमें