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प्रस्फुटन चिरनिद्रा में सोया था मै अरसो से खोया थ

प्रस्फुटन

चिरनिद्रा में सोया था
मै अरसो से खोया था।

जगी चेतना, तब जाग रहा था
मिटटी से बाहर झांक रहा था

अभी तक कुछ भी नहीं था
अस्तित्व में सवाल आया।

शून्य से उपजने को झटपटाया
चैतन्य होकर ऊपर आया।

दृष्टि रसस्पर्श गंधश्रवण इंद्रिय ने
जीवन को महसूस कराया।

मृत्यु और जीवन जीने का
भेद काल ने सिखलाया।

मै था मैं हूं मैं रहूंगा सदा
महाकाल ने मुझको बतलाया। यहां नीचे से पूरा पढ़ें 👇👇


 प्रस्फुटन

चिरनिद्रा में सोया था
मै अरसो से खोया था।
प्रस्फुटन

चिरनिद्रा में सोया था
मै अरसो से खोया था।

जगी चेतना, तब जाग रहा था
मिटटी से बाहर झांक रहा था

अभी तक कुछ भी नहीं था
अस्तित्व में सवाल आया।

शून्य से उपजने को झटपटाया
चैतन्य होकर ऊपर आया।

दृष्टि रसस्पर्श गंधश्रवण इंद्रिय ने
जीवन को महसूस कराया।

मृत्यु और जीवन जीने का
भेद काल ने सिखलाया।

मै था मैं हूं मैं रहूंगा सदा
महाकाल ने मुझको बतलाया। यहां नीचे से पूरा पढ़ें 👇👇


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चिरनिद्रा में सोया था
मै अरसो से खोया था।
bpawar8645130918033

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