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_*📝“सुविचार"*📝_ _🖊️*“21/8/2021”*🖋️_ 🌧️*“शनिव

_*📝“सुविचार"*📝_ 
_🖊️*“21/8/2021”*🖋️_
🌧️*“शनिवार”*🌧️

आप किसी “सरोवर” में देखिए
 जिसका “जल शान्त” है,“स्थिर” है
आप स्पष्ट रूप से देख सकते है
 कि उसके “तल” में क्या है ?
उसमें तैरने वाली सुंदर “मछलियां”,“चमकते हुए पत्थर”,“सुनहरी रेत” सबकुछ आप देख सकते है,
किंतु अगर कोई छोटा सा “कंकड़” उठा कर यदि उसी “जल” में डाल दो,तो जल विचलित हो जाता है और उसकी स्पष्टता न्यूनतम हो जाती है,
तत्पश्चात कुछ भी स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता,
यहीं बात “मनुष्यों” के साथ भी है 
“मनुष्य” यदि विचलित हो जाए तो वो समझ नहीं पाता,
“वर्तमान” में क्या हो रहा है
 और “भविष्य” में क्या करना चाहिए,
किंतु यदि वहीं “मनुष्य” शांत रहे,
स्थिर रहे,“सकारात्मक” रहे,
तो निश्चित रूप से वो समझ पाएगा
 कि “वर्तमान” में क्या करना 
और “भविष्य” में क्या करना है,
तो स्वयं में वो “स्थिरता” लाइए,
वो “धैर्य” रखिए और “स्वयं” को “शांत” रखिए और सब में “प्रेम” बांटते रहिए,“आंनद” की अनुभूति अवश्य होगी,
_*अतुल शर्मा🖋️📝*_

©Atul Sharma _*📝“सुविचार"*📝_ 
_🖊️*“21/8/2021”*🖋️_
🌥️ _*“शनिवार”*_🌥️

#“सरोवर” 

#“जल”
_*📝“सुविचार"*📝_ 
_🖊️*“21/8/2021”*🖋️_
🌧️*“शनिवार”*🌧️

आप किसी “सरोवर” में देखिए
 जिसका “जल शान्त” है,“स्थिर” है
आप स्पष्ट रूप से देख सकते है
 कि उसके “तल” में क्या है ?
उसमें तैरने वाली सुंदर “मछलियां”,“चमकते हुए पत्थर”,“सुनहरी रेत” सबकुछ आप देख सकते है,
किंतु अगर कोई छोटा सा “कंकड़” उठा कर यदि उसी “जल” में डाल दो,तो जल विचलित हो जाता है और उसकी स्पष्टता न्यूनतम हो जाती है,
तत्पश्चात कुछ भी स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता,
यहीं बात “मनुष्यों” के साथ भी है 
“मनुष्य” यदि विचलित हो जाए तो वो समझ नहीं पाता,
“वर्तमान” में क्या हो रहा है
 और “भविष्य” में क्या करना चाहिए,
किंतु यदि वहीं “मनुष्य” शांत रहे,
स्थिर रहे,“सकारात्मक” रहे,
तो निश्चित रूप से वो समझ पाएगा
 कि “वर्तमान” में क्या करना 
और “भविष्य” में क्या करना है,
तो स्वयं में वो “स्थिरता” लाइए,
वो “धैर्य” रखिए और “स्वयं” को “शांत” रखिए और सब में “प्रेम” बांटते रहिए,“आंनद” की अनुभूति अवश्य होगी,
_*अतुल शर्मा🖋️📝*_

©Atul Sharma _*📝“सुविचार"*📝_ 
_🖊️*“21/8/2021”*🖋️_
🌥️ _*“शनिवार”*_🌥️

#“सरोवर” 

#“जल”
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Atul Sharma

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