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हल्के पन का बोझ लिए मन रोज़ कुछ कदम बढता है कभी बो

हल्के पन का बोझ लिए मन
रोज़ कुछ कदम बढता है
कभी बोझ को देखे 
कभी रास्तों को देखे
उलझन से रोज़ गुजरता है
कठिन सफर है बोझिल मन है
 रुकी सी राहें थके से कदम हैं
सुना है राहें आसान हो जाती हैं
गर हमसफर मनभाया संग है
तो फिर चलो न राहों को आसान करते हैं.....
 नमस्कार लेखकों।😊

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हल्के पन का बोझ लिए मन
रोज़ कुछ कदम बढता है
कभी बोझ को देखे 
कभी रास्तों को देखे
उलझन से रोज़ गुजरता है
कठिन सफर है बोझिल मन है
 रुकी सी राहें थके से कदम हैं
सुना है राहें आसान हो जाती हैं
गर हमसफर मनभाया संग है
तो फिर चलो न राहों को आसान करते हैं.....
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