फरियाद मुझसे मेरी अधूरी नींदों का हिसाब न माँग, कर ले खुद शमा रोशन मुझसे आफताब न माँग, बिखरा है कई हिस्सों में वजूद किस-किस को समेटूँ ? तू मुझसे आरज़ी ज़िंदगी को चाहने की फरियाद न माँग, रंग सब उड़ गए जिस तस्वीर से बनने के बाद, तू उस तस्वीर के बेनूर होने की मुझसे दलील न माँग, क्या हुआ कैसे हुआ, गुनाहगार किस-किस को करूँ ? जाने दे इन बेमकसद सवालों के कोई जवाब न माँग, माज़ी को याद करना तो इक इबादत है मेरे लिए, तू मुझसे मेरी इस इबादत की क़तई वज़ाहत न माँग, जा ढूँढ ले फिर कोई सितारा चमकता हुआ नया सा, लेकिन मुझसे अब वो पहले सी आब-ओ-ताब न माँग । #wingsofpoetry #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #yqhindiurdu #yqhindiurdushayari