Nojoto: Largest Storytelling Platform

बाहर - भीतर होते हैं सबके, दो मन यहाँ बाहर से दि

बाहर - भीतर
 होते हैं सबके, दो मन यहाँ
बाहर से  दिखते खुश
पर
भीतर से सब, रोते लोग यहाँ
होती खुशीयाँ सबके जहन में
पर
मिलती हैं जिंदगी, कुछ और यहाँ
पूरे होते सपने सबके, 
फिर भी 
सपनों सी खुशीयाँ, 
मिलती कब हैं सबको यहाँ

©Nisha Bhargava #andar_ki_awaj
बाहर - भीतर
 होते हैं सबके, दो मन यहाँ
बाहर से  दिखते खुश
पर
भीतर से सब, रोते लोग यहाँ
होती खुशीयाँ सबके जहन में
पर
मिलती हैं जिंदगी, कुछ और यहाँ
पूरे होते सपने सबके, 
फिर भी 
सपनों सी खुशीयाँ, 
मिलती कब हैं सबको यहाँ

©Nisha Bhargava #andar_ki_awaj